Quotation

February 1986

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ईश्वर कैसा है और कहाँ है? इस झंझट में भले ही न पड़ो पर यह तो देखो कि तुम्हें किस लिए बनाया और किस तरह जीने के लिए कहा।

शतं जीवो शरदो वर्धमानः शतं हेमन्ता ऋतणु वसतान्। -अथर्व.

हे याज्ञिक तू सौ वर्ष तक बलवान होकर जी। सौ शीत और बसन्त ऋतुओं को इसी जीवन में देख।


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