राम के नीति पक्ष तथा महान निर्धारण से प्रभावित होने वाली गिलहरी तक से सहयोग किये बिना न रहा गया। वह अपनी स्वल्प शक्ति के अनुरूप बालों में बालू भरकर समुद्र में डालने और उसे उथला करने, पार जाने योग्य बनाने के प्रयास में जुट गई। कार्य असम्भव था यह वह भी जानती थी पर सोचा यही कि आदर्श की स्थापना के लिए जो बन पड़े करना ही चाहिए। भले ही अभीष्ट सफलता उपलब्ध न हो सके। राम ने सुना तो भरपूर प्यार दिया। उसका सहयोग इतिहासकारों के लिए एक सराहना का विषय बन गया।