भयंकर वर्षा हो रही थी महर्षि आयोदधौम्य ने अपने शिष्य आरुणि को भेजा कि वह खेत में मेंड़ तोड़कर पानी को बहने से रोके। आरुणि बच्चा ही था। पानी जोरों से बह रहा था। कोई और उपाय न देखकर बच्चा वहाँ लेट गया जहाँ से पानी बह रहा था।
जब आरुणि को लौटने में बहुत देर हो गई तो तलाश हुई। पाया कि आरुणी मेंड़ रोके पड़ा है। ताकि खेत का पानी निकल जाने से नुकसान न हो। गुरु ने शिष्य को उठाकर छाती से लगा लिया। ऐसे गुरुभक्त और अनुशासन शील शिष्य का भविष्य उज्ज्वल ही होना था सो हुआ भी।