13 मार्च सन् 1928 को ब्रिटेन विनिर्मित एक सशक्त वायुयान को अमेरिका भेजने का निश्चय हुआ। वह कप्तान रेमण्ड हिक्लिफ के संचालकत्व में जोश खरोश के साथ उड़ा तो पर भयंकर तूफान में फंस जाने के कारण वह बीच समुद्र में डूब गया। रेडियो संचार प्रणाली भी अस्त-व्यस्त हो गई और उसके गिरने के सही समय और स्थान की सूचना कहीं नहीं पहुँचाई जा सकी। अखबारों में इतनी सूचना छपी कि रात्रि के समय ब्रिटेन का एक शक्तिशाली वायुयान गुम हो गया। ढूंढ़ खोज होती रही पर उसका कोई पता न चला।
कप्तान हिक्लिफ की सत्ता प्रेत रूप में बदल गई। जब कि वह कभी भूत प्रेतों की चर्चा में तनिक भी रस नहीं लेता था और उसे कोरी बकवास बताता था।
कप्तान को आत्मा अपने घर पहुँची और पत्नी को बताया कि उसका जहाज डूब चुका है वह उससे सशरीर मिलने की आशा न रखे। बच्चों को प्यार करने के बाद वह आत्मा अदृश्य हो गई।
इसके बाद वायुयानों को खतरे से बचाने के कार्यों में उसको आत्मा ने रुचि लेना आरम्भ किया। एक बार अमेरिका से एक जहाज इंग्लैण्ड आ रहा था। दो चालकों में से एक सोया हुआ था कप्तान की चौकी के चौकीदार को एवं एक सोये चालक को प्रेत चालक ने सचेत किया कि वह रास्ता भटक गया है और गलत रास्ते पर जा रहा है। उसने सोते हुए साथी को जगाया और अदृश्य आत्मा की सूचना से अवगत किया। यन्त्रों के देखने से प्रतीत हुआ कि वह 200 मील भटक गया है। ईंधन भी चुकने वाला है। दोनों ने मिलकर जहाज को एक छोटे टापू पर उतारा। रेडियो से संचालक केन्द्र को सूचना दी। दूसरे दिन ईंधन लेकर नया वायुयान आया तभी उनके लिए नई उड़ान भर सकना सम्भव हुआ।
इसी प्रकार एक फ्राँसीसी विमान आग लगने से जलकर खाक हो गया वह एक देहाती इलाके की छोटी आर्वी पहाड़ी से टकरा गया था। सवारों में से शेष सभी मर गये थे। मात्र एक व्यक्ति बच गया था। समाचार पहुँचाने की कोई सम्भावना न थी क्योंकि जहाज में पहले से ही कई खराबियाँ उत्पन्न हो गई थीं। रेडियो संचार पहले से ही गड़बड़ा गया।
यह सूचना कप्तान की प्रेतात्मा ने मुख्य कार्यालय में पहुँचकर स्वयं पहुँचाई और वह अदृश्य हो गई। आर्वी नाम की कोई बड़ी जगह फ्राँस भर के नक्शों में न मिली। कठिनाइयों से “आर्वी रोड” एक रेलवे स्टेशन भर पाया गया। वहाँ उड़ानें भरते हुए दूसरे वायुयान पहुँचे तो सिर्फ जला हुआ मलबा और एक व्यक्ति बेहाल भूखी स्थिति में मिला। दुर्घटना की जाँच के लिए अफसरों ने प्रयत्न किया पर सूत्र हाथ न लगे जिससे सही स्थिति की जानकारी प्राप्त की जा सके।
इस प्रसंग में भी कप्तान की मृतात्मा उपस्थित हुई और उसने बताया कि जहाज के निर्माण में क्या त्रुटियाँ रह गई थीं। इसलिए उसे नीची उड़ान उड़ानी पड़ी और छोटी पहाड़ी से टकराकर जल गया। उसकी पड़ी रेडियो व्यवस्था पहले से ही अस्त-व्यस्त हो गई थी। इस गवाही को प्रामाणिक मानकर जाँच की कार्यवाही समाप्त हुई।
लगभग 60 वर्ष तक यह सिलसिला चला। कप्तान हिक्लिफ की आत्मा इंग्लैंड से अमेरिका के क्षेत्र में मंडराती पाई गई और उसने कितने ही जहाजों को मुसीबत से बचाया। सम्भवतः उसके बाद वह अपने उपकारों के कारण मुक्ति पा गई।