ज्ञान आत्मा का अमूल्य जीवन-रस है, ज्ञान शक्तियों को जागृत रखता है, ज्ञानहीन जीवन रक्तहीन देह की तरह निर्बल और निष्प्राण ही होता है। इसलिए शरीर को अन्न से पुष्ट रखने की तरह जीवन को ज्ञान से परिपुष्ट बनाया जाना आवश्यक ही नहीं, अनिवार्य भी है। —मिल्टन