थॉमस अपनी लड़की पर अधिक लाड़-प्यार करता था। एक दिन वह बीमार पड़ गयी। थॉमस ने उसका काफी इलाज कराया, परन्तु सारे प्रयत्न व्यर्थ गये। थॉमस की लाडली मर गयी। वह दिन रात रोता रहता-न जीवन में कोई रुचि न मित्रों से कोई सम्पर्क।
एक दिन स्वप्न देखा .................. वह स्वर्ग में पहुँच गया था। वहाँ उसे छोटे-छोटे बाल देवदूतों का जुलूस दिखाई दिया। एक श्वेत सिंहासन के पास से उनकी पंक्ति चली जा रही थी। श्वेत वस्त्र पहने सभी बच्चों के हाथ में जलती हुई मोमबत्ती थी। परन्तु उसने देखा कि एक बच्चे के हाथ की मोमबत्ती बिना जली हुई है। ध्यान से देखने पर पता चला कि यह तो उसी की लाडली है।
उसने अपनी बेटी को बाहों में भर लिया, प्यार से सहलाया और पूछा- बेटी सिर्फ तुम्हारी ही मोमबत्ती क्यों बुझी हुई है।
पिताजी, ये लोग तो बार-बार इसे जलाते हैं, पर आपके आँसू इसे बार-बार बुझा देते हैं।
.....और तभी थॉमस की नींद खुल गयी। उसने सारी उदासी और विरक्ति को मिटा देने का संकल्प कर लिया तथा हर बच्चे में अपनी लाडली को देखने लगा।
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