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December 1978

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हे परमसत्ता! तू तेजस्विता का स्त्रोत है, केन्द्र है, हमें तेजस्वी बना। तू पराक्रम का अनन्त भण्डार है, हमें पराक्रम सामर्थ्य दे। तू स्वयं बल है, हमें बलवान बना। तू ओजस है, हमें भी ओजस्वी बना। अन्याय के प्रति तू सदैव क्रुद्ध रहती है, हमें भी अन्याय के प्रतिकार की प्रेरणा दे। तू सहनशील है, हमें भी सहिष्णुता-वृत्ति दे।

आयुर्वेद 19।9

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