घोड़े पर नमक (kahani)

December 1978

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एक व्यापारी एक घोड़े पर नमक और एक गधे पर रूई की गाँठ लाद कर कहीं जा रहा था। रास्ते में एक नदी पड़ी। पानी में धंसते ही घोड़े ने डुबकी लगाई और काफी नमक पानी में घुलकर बह गया। गधे ने घोड़े से पूछा, यह क्या कर रहे हो तो घोड़े ने जवाब दिया- वजन हल्का कर रहा हूँ।

अपना वजन भी हल्का हो जायगा यह सोचकर गधे ने दो डुबकियाँ लगा लीं। पर उससे गाँठ भीग कर इतनी भारी पड़ गयी कि उन्हें ढोने में गधे की जान पर आफत आ गयी। बिना जाने समझे नकल इसी कारण तो हानिकारक होती है।

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