गुणों के विकास का परिणाम ही सौभाग्य और उनकी कमी का प्रतिफल ही दुर्भाग्य बनकर सामने आता है। जैसे तेल और बाती जुटने पर ही दीपक प्रकाश फैलाता है, वैसे ही गुणों और क्षमताओं का समन्वय मनुष्य के भाग्य को प्रकाशित करता है।
- ला रोश फूको
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