नेहरू जी एक बार कानपुर के प्रताप कार्यालय में गणेश शंकर विद्यार्थी से मिलने गए। विद्यार्थी जी वहाँ थे नहीं, प्रतीक्षा में नेहरू जी को बैठना पड़ा।
मेज पर कागज बेतरतीब बिखरे पड़े थे। इस प्रतीक्षा के समय में नेहरू जी ने वे सभी कागज तरतीब से जमाए और कपड़े से मेज-कुरसी पर जहाँ-तहाँ जमी सारी धूल साफ कर दी। विद्यार्थी जी लौटे तो उन्होंने नेहरू जी से क्षमा माँगी और आगे से मेज साफ रखने की आदत बना ली।
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