मुनि कौत्स ने जल से आधा भरा कमंडल सामने प्रस्तुत करते हुए ब्रह्मचारियों से पूछा— “बताओ यह भरा है या खाली।“
उत्तर देते हुए छात्रों में से किसी ने उसे आधा भरा बताया, किसी ने आधा खाली।
मुनि ने समझाया— “तात! यही दृष्टिभ्रम संसार में संव्याप्त है। जो रिक्तता के अभाव को देखते-सोचते हैं, वे दुखित-उद्विग्न रहते हैं और जिनने उपलब्धियों को समझा, उन्हें आज संतोष करने और कल की आशा रखने के लिए आधार मिल जाएगा।”
“कमंडल कितना खाली है यह मत सोचो; यही देखो कि वह कितना अधिक भरा हुआ है।”
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