जो स्वार्थी हैं, उनका पतन एक न एक दिन जरूर होगा। जो सेवापरायण हैं, उन्हें पतन के लिए अवसर और अवकाश ही कहाँ मिलेगा?
पतित व्यक्ति पहले सत्यविमुख होता है। पीछे अंधकार में प्रवेश करता है; क्योंकि पाप अंधेरे में ही हो सकता है। असत्य और अंधकार, यही तो दो पतन के अवलंबन हैं।
— महात्मा गाँधी