शक्ति के कितने ही स्थूलस्रोत ढूँढ़ निकाले गए हैं, पर वे सभी हलके और उथले हैं। आग, भाप, तेल, रसायन एवं बिजली आदि के माध्यम से इन दिनों यांत्रिक शक्ति प्राप्त की जाती है और उससे विविध प्रयोजन पूरे किए जाते हैं। यंत्रयुग से पूर्व यह शक्ति मानवी श्रम और पशु श्रम के आधार पर प्राप्त की जाती थी। स्पष्टतः माध्यम जितने स्थूल होंगे, उतनी ही उनकी क्षमता भी स्वल्प रहेगी।
आकाशस्थ अदृश्य शक्ति-धाराओं को पकड़ने और प्रयुक्त करने में जितनी सफलता मिलती जा रही है, उतनी ही अरिगम शक्ति करतलगत होती जा रही है। रेडियो विकरण, ऊर्जा तथा प्रकाश-कंपनों के वर्ग की एक उच्चस्तरीय शक्ति कुछ ही दिनों पूर्व लेजर किरण के रूप में प्राप्त हुई है। इस माध्यम से एक-से-एक बढ़कर ऐसे आश्चर्यजनक कार्य संपन्न किए जा रहे हैं, जो कुछ दिन पूर्व तक अंततः कठिन या असंभव माने जाते थे।
आकाशव्यापी 'लेजर' किरण एक नए शक्तिस्रोत के रूप में मनुष्य के हाथ आई हैं। उनका प्रयोग करके असंभव जैसे कार्यों को संभव बनाने की बात सोची जा रही है। अणुबमों के विस्फोट और उद्जन शक्ति के उत्पादन में अभी प्रायः 10 लाख डिग्री तापमान उत्पन्न करने की जरूरत पड़ती है। यह बहुत बड़ा और बहुत कठिन चरण है। इसके पूरा किए बिना अभी अणु-विस्फोट से उत्पन्न शक्ति का प्रयोग नहीं किया जा सकता, पर कुछ ही दिनों में लेजर किरणों के प्रयोग से यह कार्य सरल बना लिया जाएगा।
अभी तक लेजर किरणों का उत्पादन बाहरी शक्ति तथा किरणों की शोध द्वारा किया जाता था, पर अब उन्हें रासायनिक क्रियाओं द्वारा उत्पन्न किया जा सकेगा और उनकी क्षमता को भी बढ़ाया जा सकेगा। कारनेल विश्वविद्यालय न्यूयार्क ने भारी उद्जन गैस, फ्लोरिन गैस और कार्बन डाई ऑक्साइड गैस के सम्मिश्रण से लेजर किरणें उत्पन्न करने में सफलता प्राप्त कर ली है।
लेजर किरणों को इन दिनों कई उपयोगी कार्यों में प्रयोग किया जा रहा है। भूगर्भ की गहरी खुदाई, टाँका लगाना, बहुत बारीक नाप-जोख जैसे कार्य इससे लिए जाते हैं। हीरा संसार का सबसे कठोर पदार्थ है, लेकिन लेजर किरणों द्वारा उसे अमरूद की तरह तराशकर फेंक दिया जाता है। सुरंगों की खुदाई में उनके द्वारा बहुत महत्त्वपूर्ण आवश्यकताएँ पुरी की गई हैं। इसका प्रभाव इतना सही, सूक्ष्म और सधा हुआ होता है कि बाल में भी छेद किया जा सके। संचार, नौकानयन, खोज-खबर और अंतरिक्ष यात्रा से लेकर नपे-तुले बहुत सावधानी वाले खतरनाक ऑपरेशनों में इन किरणों का उपयोग किया जा रहा है। ग्रहों की दूरी नापने के सबसे सही पैमाने के रूप में उन्हीं का प्रयोग किया जा रहा है। अगले दिनों वे संभवत: अंधो के लिए आँखों का काम दे सकें। लेजर किरणों से प्रभावित एक छड़ी हाथ में लेकर यह अंधे लोग चला करेंगे और वह जादू की छड़ी आस-पास के वातावरण की पूरी जानकारी उन्हें दे दिया करेगी, फिर उन्हें नेत्रहीनता के कारण उत्पन्न कठिनाइयों में से अधिकांश का हल मिल जाएगा।
लेजर किरणों का मुख्य कार्य है — प्रकाश की शक्ति को असंख्य गुना कर देना। उसके प्रयोग से सूर्य के धरातल जितनी असह्य चमक पृथ्वी तल पर उत्पन्न की जा सकती है, भले ही उससे धरती भाप बनकर अंतरिक्ष में ही विलीन क्यों न हो जाए।
यह भौतिक जगत में संव्याप्त एक भौतिक शक्ति-किरण की बात हुई। ऐसी अनेक धाराएँ आकाश में भरी पड़ी हैं और वैज्ञानिक उनकी संभावनाओं तथा उपलब्धियों की पूर्व कल्पना करके यह आशा करते हैं कि अगली शताब्दी में मनुष्य के पास इतनी असीम शक्ति होगी कि वह प्रकृति के साधारण क्रम-प्रवाह को इच्छानुसार बदल— पलट सके।
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