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अरस्तू ने एक शिष्य द्वारा उन्नति का मार्ग पूछे जाने पर उसे पाँच बातें बताई।
(1) अपना दायरा बढ़ाओ, संकीर्ण स्वार्थ परता से आगे बढ़कर सामाजिक बनो।
(2) आज की उपलब्धियों पर संतोष करो और भावी प्रगति की आशा करो।
(3) दूसरों के दोष ढूँढ़ने में शक्ति खर्च न करके अपने को ऊँचा उठाने के प्रयास में लगे रहो।
(4) कठिनाई को देख कर न चिन्ता करो न निराश होओ वरन् धैर्य और साहस के साथ उसके निवारण का उपाय करने में जुट जाओ।
(5) हर किसी में अच्छाई खोजो और उससे कुछ सीख कर अपना ज्ञान और अनुभव बढ़ाओ। इन पाँच आधारों पर ही कोई व्यक्ति उन्नति के उच्च शिखर पर पहुँच सकता है।