जनता तक कोई विचार और संदेश निरन्तर पहुँचाने के लिए समाचार पत्र और सिनेमा दो साधन हैं। समाचार पत्रों की सारी पहुँच 12 प्रतिशत जनता तक है। सिनेमा की पहुँच इससे अधिक बढ़ गई है। वह 20 प्रतिशत जनता तक अपनी प्रेरणाएँ पहुँचाता है। जबकि रेडियो को सारी क्षमता 6 लाख व्यक्तियों को सूचना संदेश दे सकने में ही समर्थ हो पाई है। यदि सिनेमा का उपयोग लोक-रंजन के साथ लोक-मंगल को समन्वय किया जा सके तो यह वैज्ञानिक उपलब्धि समाज के लिए अभिशाप न रह कर वरदान बन सकती है।
-लोक लायक अत्रे