बगदाद के सन्त जुनैद (kahani)

April 1973

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बगदाद के सन्त जुनैद अपने एक शिष्य को औरों से ज्यादा प्यार करते थे।

शिष्यों ने शिकायत की कि एक साथ पक्षपात क्यों होता है?

सन्त चुप हो गये । कई दिन बाद उन्होंने सब शिष्यों को बुलाया और एक मच्छर हाथ में थमाते हुए कहा- इसे ऐसी जगह मार कर लाओ जहाँ कोई देखता न हो।

शिष्य गये और ऐसे ही कहीं छिप कर अपना काम पूरा कर लाये।

पर वह प्रिय शिष्य उस जीव को ज्यों का त्यों वापिस ले आया और कहा-ऐसी कोई जगह नहीं जहाँ अल्लाह देखता न हो।

जुनैद ने कहा- तुममें से यह एक है जो ईमान और अल्लाह को पहचानता है। ऐसे ही लोग हैं जिन पर खुदा की रहमत बरसेगी।


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