सच्चाई को ही प्रतिष्ठा प्रदान करे

July 1971

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मुहम्मद साहब राज्य की व्यवस्था को सुधारने लिए प्रयत्नशील थे । इसलिए उन्होंने अलग-अलग प्रान्त के लिए नये पदाधिकारी चुन कर भेजना शुरू कर दिया । वह चाहते थे कि नव निर्वाचित अधिकारी जनता को उचित मार्ग-दर्शन दे और न्याय पूर्वक शासन करे ! जबल का बेटा मुआज जब यमन की देखभाल के लिए चलने को तैयार हुआ तो मुहम्मद साहब ने उससे पूछा ‘ अपने प्रान्त में न्याय के लिए आधार किस बात को बनाओगे ?’

‘कुरान की आज्ञाओं को ।’

‘पर यह भी तो सम्भव है कि कुरान तुम्हारी पूर्ण रूप से सहायता न कर सके ।’

‘तब पैगम्बर के प्रमाण को जनता के सम्मुख रखूंगा ।’

‘और यदि पैगम्बर का उदाहरण भी तुम्हारी न्याय व्यवस्था में सहायक न हुआ तो ?’

तब तो मुझे अपने विवेक से ही काम लेना होगा ।’

मुहम्मद साहब मुआज की बातों से बड़े सन्तुष्ट हुये उन्होंने सभी अधिकारियों को इसी प्रकार शासन व्यवस्था चलाने का आदेश देते हुए कहा-परमात्मा ने बुद्धि और विवेक इसी लिये दिया है कि वह परंपराओं का अन्धानुकरण न कर सच्चाई को ही प्रतिष्ठा प्रदान करे ।


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