जीवन के रहस्य-जीवन की-विचित्रतायें

July 1971

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आयरलैंड के क्रुक हैवेन शहर में एक ही मकान में रहने वाले दो दंपत्तियों के एक ही दिन कुछ मिनटों के ही अन्तर से दो पुत्र पैदा हुये। एक दाम्पत्य ने अपने बच्चे को नाम एलेनर ग्रेडी रखा दूसरे ने अपने बच्चे का नाम पैट्रिक रखा। दोनों बच्चे धीरे-धीरे अपने जीवन के स्वाभाविक विकास क्रम की ओर चल पड़े।

प्रति सेकेंड 3 बच्चों को जन्म हो जाने वाली इस पृथ्वी में शरीर धारण कोई अनोखी बात नहीं है आज कल तो जनसंख्या वृद्धि एक समस्या ही बन गई है क्योंकि खाद्यान्न में 1 से 2,2 से 3,3 से 4 की धीमी गति से प्रगति होती है जबकि बच्चे 1 से 2,2 स 4 और 4 से 8 की गुणोत्तर गति से अतएव अनुमान है कि कुछ दिन में जनसंख्या भूख के कारण कही अपना ही विस्फोट न करले ऐसी स्थिति में बच्चों के जन्म की चर्चा क्यों छेड़ी गई?

इसलिये कि जीवन के वास्तविक अर्थ को समझा जाये और उसका लक्ष्य भी प्राप्त किया जाये ? ऋग्वेद में बताया है--

अपाडं प्राडेति स्वध्या गृभीतीअमर्त्योमर्त्येना सयोनिः । ता शश्रन्ता-विशुचना वियन्तान्यअन्य चिक्युनं नि चिक्युरन्यम्॥ 1।164।38

अर्थात्-अन्न से बना हुआ यह शरीर तुम्हारे कल्याण के लिये मिला है अशुभ कर्म करके नीचे मत गिरो, महान् कार्य करो और ऊपर उठो।

किन्तु जड़ शरीर ओर इंद्रियों की आसक्ति में पड़े मनुष्य शरीर की सूक्ष्म चेतना की ओर ध्यान नहीं देते। प्रस्तुत पंक्तियों में दी जा रही घटना यह बताती है कि मनुष्य चेतना किसी सार्वभौमिक नियम के अनुसार किसी उद्देश्य के लिये जन्म लेता है उसे इस अद्वितीय चेतना और अन्तिम सत्य का ज्ञान प्राप्त करना और उसकी अनुभूति करना ही चाहिये। पैट्रिक और अलेनर ग्रेडी अलग अलग खेलते किन्तु एक दिन दोनों रोते रोते घर पहुँचे ,दोनों के दाहिने पैर पर लगभग एक ही स्थान पर चोट लगी थी। माता पिता ने पट्टी करदी कोई ध्यान नहीं दिया। दोनों बच्चे पढ़ रहे थे तब कई बार ऐसा हुआ कि यदि परीक्षा में पैट्रिक को 260 अंक प्राप्त हुये तो दूसरे स्कूल में पढ़ रहे ग्रेडी को भी 260 ही अंक मिले। अन्तर पड़ा तो बहुत ही मामूली।

जिस दिन एडिनर ग्रेडी के विवाह सम्बन्ध की बान चली ठीक उसी दिन पैट्रिक की भी और संयोग यों हुआ कि दोनों की शादी एक ही दिन तय हुई और पहला बच्चा भी दोनों के एक ही दिन हुआ। इन घटनाओं ने लोगों का ध्यान हठात् इधर खींचा और आयरलैंड के शिक्षित व्यक्ति भी यह मानने लगे कि कोई एक सार्वभौमिकता सत्ता व नियम सृष्टि में काम अवश्य कर रहा है अन्यथा यह विचित्रताएं क्यों कर प्रकाश में आती। महात्मा गाँधी जी और लालबहादुर शास्त्री की जन्म तिथियाँ एक थी दोनों को जीवन एक सा था। पं॰ मोतीलाल नेहरू और श्री रवीन्द्र नाथ टैगोर एक ही दिन जन्में उनकी उपलब्धियाँ लगभग एक जैसी थी । अमेरिका के राष्ट्रपति कैनेडी और राष्ट्रपति लिंकन 100 वर्ष के अन्तर से जन्मे पर उनके जीवन की घटनाओं में इतनी अधिक समानता देखी गई कि लोगों को यहाँ तक कहते हुए सुना गया-”लिंकन की कैनेडी होकर जन्मे है।”

पैट्रिक और एलेनी ग्रेडी 66 वर्ष की आयु में एक ही दिन बीमार पड़े और एक ही समय मर कर चले गये पर अपने पीछे एक प्रश्नवाची चिन्ह छोड़ गये जो चिरकाल तक लोगों को मनुष्य जीवन की यथार्थता को खोजने की आध्यात्मिक प्रेरणा देता रहेगा।


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