पूर्व जन्म के आभास ने जीवन बदला

July 1971

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पूर्व जन्म के आभास ने जीवन बदला -

सुप्रसिद्ध अँगरेज लेखक विलियम होन ने एकबार पहाड़ी स्थान की यात्रा की। ठहरने के लिये उन्होंने एक डाक बँगले में व्यवस्था की। उस स्थान में जाने के लिये उनके मन में जब भी कल्पना उठती उस रात वे एक विचित्र स्वप्न देखते जैसा कि वे पहले कई बार देख चुके थे। स्वप्न की सभी आकृतियाँ पहचानी सी लगती । एक स्वप्नों का प्रायः आना और उनसे कुछ आत्मिक घनिष्ठता सा लगना उनके लिये आश्चर्यजनक बात थी ओर जिज्ञासा वर्द्धक भी जिसका कोई वैज्ञानिक अर्थ निकालना सम्भव नहीं हो पा रहा था।

यात्रा के पूर्व तक श्री होन बहुत बड़े नास्तिक थे( संस्मरण श्री ई॰ डी॰ वाकर की प्रसिद्ध पुस्तक पुनर्जन्म (रिइन्कार्नेशन) से उद्धत) वे जब उस स्थान में पहली बार ही पहुंचे तो पता चला कि इस स्थान को वे कई बार स्वप्न में देख चुके है ऐसा लगा जैसे पूरा क्षेत्र उनका जाना हुआ हो । जब वे वेटिंग रूम की ओर चले तो एक कमरे को देखकर याद आया कि इसकी पीछे वाली खिड़की में गाँठ है। उत्सुकता वश उन्होंने कमरा खुलवा कर देखा तो सचमुच उसमें गाँठ थी। इस बात से वे बहुत अधिक प्रभावित हुये उन्होंने स्वीकार किया कि अदृश्य ही यह पिछले जन्म के संस्कार होगे। उस दिन के बाद से वे कट्टर आध्यात्मवादी हो गये। पीछे उन्होंने अपना शेष जीवन प्रकृतिवाद के खण्डन में ही बिताया।


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