उजड्ड ईर्ष्यालु

February 1964

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सुकरात ज्ञान चर्चा में लगे हुए थे कि एक उजड्ड ईर्ष्यालु ने उनकी पीठ पर लात मारी और वे औंधे मुँह गिर पड़े।

अपने को सँभाल कर सुकरात उठे और बात जहाँ से छूटी थी वहीं से फिर कहानी आरंभ कर दी।

अपमान का कुछ भी ख्याल न करते देख- उपस्थित लोगों ने कहा - इस दुष्ट को सजा क्यों न दी जाय?

सुकरात ने कहा- कोई गधा हमें लात मार दे तो क्या हमारे लिए यह शोभा की बात होगी कि हम भी उसे लात मारें ?


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