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Akhand Jyoti
Year 1964
Version 2
मैं अनन्त पथ...
मैं अनन्त पथ का राही हूँ (Kavita)
February 1964
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Page Titles
देने से ही मिलेगा
ज्ञान का महत्व समझिए
अन्दर और भीतर की पवित्रता
उजड्ड ईर्ष्यालु
वाक्शक्ति का दुरुपयोग न करें
इच्छा शक्ति की प्रचण्ड क्षमता
हम एकता की ओर बढ़ें
Quotation
स्वाध्याय-आत्मा का भोजन
Quotation
धन का उपार्जन एवं उपयोग
नारी पुनरुत्थान
सच्चे वेदान्ती-स्वामी रामतीर्थ
हमारा हर कार्य विवेकपूर्ण हो?
पति और पत्नी का सम्बन्ध
युग परिवर्तन निकट ही है
साहसी बुँचे
अहेंकारी कबूतर
सन्त-समागम
हमारे समाज में नारी की स्थिति
वयोवृद्ध और उनका आदेश
सच्चा जन-नेता
हमारी संकीर्णताजन्य दुष्प्रवृत्ति
जुआ समाज का बड़ा शत्रु है
घबराहट की कीमत
मधु संचय (Kavita)
उद्धरेदात्मनाऽत्मानम्
आत्म-शोधन-अध्यात्म का श्री गणेश
गायत्री की उच्चस्तरीय साधना
जीवन सार्थकता की साधना
भव्य समाज की नव्य रचना
इसका उन्मूलन इस प्रकार होगा
प्रगतिशील जातीय संगठनों की आवश्यकता
अखण्ड ज्योति की रजत-जयन्ती
श्रद्धा अभिव्यक्ति की कसौटी
मैं अनन्त पथ का राही हूँ (Kavita)
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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