बाइबिल और सतयुग

January 1942

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(यहूदियों संबंधी भविष्य वाणी की सत्यता)

ईसाइयों की धर्म पुस्तक बाइबिल में कुछ ऐसी भविष्यवाणियाँ हैं, जो इस समय सत्य होती हुई प्रतीत होती हैं। यहूदियों के सम्बन्ध में इस ग्रन्थ में बहुत कुछ वर्णन है। एक स्थान पर कहा गया है कि -”परमात्मा ने यहूदियों को आदेश किया है तुम यदि धर्म पर चलोगे तो सुखी रहोगे अन्यथा कठोर दण्ड पाओगे। यदि इस पर भी न सुधरे तो ईश्वर उनके निवास स्थानों को बरबाद कर देगा और वहाँ शत्रुओं का निवास हो जायेगा। अन्त में ठोकरें खाते जब “सात समय” (स्द्गक्द्गठ्ठ ह्लद्बद्वद्गह्य) व्यतीत हो जायेंगे तो परमात्मा फिर उनकी सुधि लेगा और इकट्ठे करके उनके देश में बसा देगा यहूदियों की प्राचीन मातृभूमि फिलिस्तीन है, वहीं उनका पवित्र तीर्थ जेरुशलम है। यह देश पहले बहुत दिनों से तुर्की के पास था और अरब लोगों से भर गया था। गत् महायुद्ध में वह अंग्रेजों के कब्जे में आ गया। मित्र राष्ट्रों की सलाह से गत दशाब्दी में वहाँ यहूदियों को बसाना निश्चय किया गया और फिलिस्तीन को यहूदियों की मातृभूमि घोषित कर दिया गया। वहाँ अब तक लाखों की तादाद में यहूदी लोग बस चुके हैं।

क्या यह घटना, बाइबिल की उसी भविष्य वाणी से संबंध रखती है, जिसका उल्लेख बाइबिल में किया गया है? ‘सात समय’ व्यतीत होने पर यह घटना होने वाली थी विचारना चाहिए कि क्या वह ‘सात समय’ वर्तमान काल ही है। ईसाई धर्म के आचार्य मानते हैं कि 360 दिन का मनुष्य वर्ष होता है और 360 वर्षों का एक देव वर्ष या ‘समय’ होता है। इस प्रकार 360 (7=2520 वर्ष व्यतीत होने पर सात समय व्यतीत हो जाएंगे।

यह भविष्यवाणी ‘ओल्ड टेस्टामेण्ट’ की है जो ईसा से बहुत पूर्व की है। उसकी गणना के हिसाब से यहूदियों को पहला दण्ड ईसा से 589 वर्ष पूर्व दिया गया था। इसलिए पहला समय उसी वक्त माना जायेगा। और सात समय करीब 1931 ई. में समाप्त हो जाता है। इन्हीं दिनों यहूदी दूर दूर से आकर अपनी चिरकाल से छूटी हुई मातृ भूमि में बसने आरम्भ हुए हैं।

‘सात समय’ का निर्णय दूसरे तरीके से भी होता है। बाइबिल में यह भी बताया गया है, कि सात समय समाप्त होने पर बड़ा भारी युद्ध होगा। सर्वत्र हाहाकार मच जायगा, दुनिया त्राहि त्राहि करने गलेगी। दुर्भिक्ष, महामारी, भूकम्प आदि की प्रबलता रहेगी। खून खच्चर से धरती की पीठ रंग जायेगी।

अन्त में कहा गया है कि यह कठिन समय व्यतीत हो जाने के उपरान्त सुख शान्ति की बेला आवेगी, धर्म का राज्य होगा और सब लोग शान्ति का जीवन व्यतीत करेंगे। प्रतीत होता है कि अब वही समय आ पहुँचा है।


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