सिख धर्म के आचार्य श्री गुरु गोविन्दसिंह जी महाराज ने अपने दशम ग्रन्थ साहेब में तथा और भी कई जगह कलियुग की समाप्ति का समय सम्वत् 2000 लिखा है। इस सम्वत् को अपनी बीसा सम्वतु कह कर पुकारा है।
जरदस्त पैगम्बर के खलीफा जामारय ने अपनी पुस्तक “जामास्यनामा” में लिखा है जब सूर्य, चन्द्रमा और बृहस्पति कर्क राशि पर आवेंगे, तब एक महान आत्मा प्रकट होगी वह दुनिया भर में न्याय और आनन्द फैला देगी। दुनिया पाप कर्मों को करना छोड़ देगी। यही योग श्रीमद्भागवत् में कलियुग समाप्ति के लिए दिया गया है। जो सम्वत् दो हजार में पड़ता है।
जार्ज बाबेरी जो मिश्र की प्राचीन गुप्त विद्याओं के विशेषज्ञ समझे जाते हैं, भविष्यवाणी कर चुके हैं कि 24 सितम्बर सन 1936 से नवीन युग प्रारम्भ हो जायेगा।
तिब्बत के लामा योगी विश्वास करते हैं कि अब शीघ्र ही ‘चवाल युग‘ (सतयुग) प्रारम्भ होगा और असत्य के ऊपर सत्य की विजय होगी।
यहूदी धर्म ग्रन्थों में ऐसे उल्लेख मिलते हैं, जिससे इन्हीं दिनों ‘मुएरगजर युग‘ (सतयुग) आरम्भ होने वाला है।
जापानी बौद्धों का विश्वास है कि सन् 1936 ई. से ‘अबतिरी’ (सतयुग) आरम्भ हो गया।