(पं. श्याम बिहारी लाल रस्तोगी, बिहार शरीफ )
बार-बार महायुद्ध और विपत्तियां आकर परिवर्तन का होना सृष्टि के प्रकृति के नियमानुकूल है। बहुत से लोग यह विचारते हैं कि यह परिवर्तन आनन फानन में हो जायेगा लेकिन यह बात नहीं है। यदि परिवर्तन स्वभाविक रीति से होने दिया जाये तो ये कार्य आठ सौ वर्षों में पूरा होगा क्यों कि कलियुग से सतयुग होने के लिए सृष्टि काय यह नियम है कि यदि प्रयत्न न किया जाये तो आठ सौ वर्ष होगा और यदि परिवर्तन के लिए प्रयत्न किया जाये तो यह कार्य परिवर्तन आठ पहर में भी हो सकता है।
शास्त्र पुराणों के पाठक जानते हैं, और शास्त्रों में भी लिखा है, कि जब कलियुग के 221 वर्ष शेष रहेंगे तब कल्कि भगवान प्रकट होकर सतयुगी धर्म की स्थापना करेंगे और उसके आठ सौ वर्ष बाद सतयुग का आरम्भ होगा लेकिन ऐसा तब होता जबकि कलियुग अपनी पूरी आयु 432000 वर्ष व्यतीत करता। उस समय यदि प्रयत्न किया भी जाता तो मुमकिन था की पूरी सफलता न मिलती, लेकिन यहाँ तो कलियुग पाँच ही हजार वर्ष में समाप्त हो रहा है, यह दो तरह से पता चलता है, एक तो यह समय होने वाली जितनी भी बातें लिखी गई हैं, दूसरे कतिपय विद्वानों का यह भी कहना है कि यदि एक ही महीने में सूर्य ग्रहण और चन्द्र ग्रहण दोनों हो जायें तो कलियुग की आयु दस हजार वर्ष घट जाती है, पर उस महीने में जिस में चन्द्र या सूर्य कोई सा भी ग्रहण हो अलग महीनों में होने पर सौ ही वर्ष कलियुग की आयु घटती है, पर हाँ यदि उसी महीने (ग्रहण वाले महीने में) सोमवारी अमावस्या पड़ जाये तो आयु नहीं घटती, इस प्रकार से यदि पाँच हजार वर्षों के बीच में 42 बार भी इससे कम एक ही ऐसे महीनों में जिसमें सोमवारी न हुई हो चन्द्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण दोनों पड़े हों तो इस हिसाब से 42(10000=420000 चार लाख बीस हजार वर्ष कलियुग की आयु समाप्त हुई। बाकी रह गये 12 हजार। पाँच हजार बीत चुके अब शेष रहे सात हजार यदि अलग अलग ऐसे महीनों में जिसमें सोमवारी न पड़े 70 बार भी पाँच हजार वर्षों में चन्द्र ग्रहण या सूर्य ग्रहण हुए हो तो 70(100=7000 इस हिसाब से कलियुग की आयु समाप्त हो जाती है, यदि कोई ज्योतिष शास्त्र के ज्ञाता इस विषय के श्लोक उद्धृत कर सकें और यह हिसाब लगाकर बतला सकें कि कब-कब ग्रहण अब तक पाँच हजार वर्षों के बीच में हुए है तो यह ठीक-ठीक बतला दिया जा सकता है कि कब और किस दिन सतयुग आवेगा। उर्दू में एक पुस्तक ऐसी छपी है, जिसमें कब कब ग्रहण हुए और भविष्य में कब कब होंगे इसका वर्णन है, परन्तु खेद है कि वह पुस्तक गोलमाल हो गई और अभाग्यवश न तो उसका नाम ही याद पड़ता है और न प्राप्ति स्थान का पता ही। यदि किन्हीं सज्जन के देखने में यह पुस्तक आई तो वह कृपा कर नाम और पते से मुझे अवगत कराये।