परमात्मा-परमात्मा चिल्लाने वाले आदमी धर्मात्मा न समझे जावेंगे, वरन् परमात्मा के आदेशों को अपने अमली जीवन में परिणत कर दिखाने वाले ही धर्मात्मा माने जावेंगे।
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अपने आप को तुच्छ समझना ही आत्म-पतन है, वास्तव में यह आत्महत्या का ही एक भेद है।