अवतार और युग परिवर्तन

January 1942

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(ले. श्यामबिहारी लाल रस्तोगी बिहार शरीफ)

जिस प्रकार हिन्दुओं के धर्म ग्रन्थों में कलियुग को हटा कर सतयुग लाने वाले कल्कि भगवान की और ईसाइयों में लोहयुग को हटा कर (Golden age) स्वर्ण युग या स्वर्ग का राज्य स्थापित करने के लिए ईसा मसीह के आने की बात लिखी है, उसी प्रकार इस्लाम की मजहबी किताबों में भी यह लिखा है कि शैतानी राज्य को हटा कर रहमानी जमाना या खुदा का राज्य स्थापित करने के लिये आने वाले ईमाम मेंहदी के प्रकट होने के पहले कैसी घटनायें होंगी। इसी बारे में कुछ बात नीचे दी जाती है -

1- वखसफ ल क्रमो जोमयें अशम्सो बल क्रमो।

-कुरान शरीफ।

यानी - दरसने गाशी दोकाराँ खाहद बूद।

अजपये मेंहदीयो दज्जाल निशाँ खाहद बूद।

-एक शायर।

यानी - इननाले मेंहदीएना आयतने लभतकुना,

भुँजौ खल्कसमाँ वतिबर्ल्अज इयन्नकसे।

फुलक्रमो ले अव्वले लैलतीम् मीर रमजाना,

वतनकसे श शम्सो फि नस्फ ीन मिन हो॥

-महम्मद साहब (हदीस दार कुतनी)

भावार्थ-(जो प्रायः तीनों का एक ही है) हमारे मेंहदी के लिये कई निशान हैं। जब से कि जमीन और आसमान खुदा ने पैदा किया है, यह निशान किसी और मामूद और रसूल के वक्त में जाहिर न हुये। इनमें से एक यह है कि मेंहदी मामूद के जमाने आने और करीबी होने पर रमजान के महीने में चाँद का ग्रहण उसकी तेरहवीं तारीख में होगा और सूरज का ग्रहण (कुसुफ) उसके दिनों में से बीच के दिनों में होगा यानी उसी रमजान के 28 वीं तारीख को तब वह चौदहवीं सदी होगी। इसके पहले कभी ऐसा वाक्य जहूर में नहीं आयेगा।

2- व एजल एसारो उत्तलत। -कुरान शरीफ।

भावार्थ- उटनियों की सवारी नहीं रहेगी।

3- प एजस सो हो फौ नौ शेरत्। -कुराशरीफ।

भावार्थ- छपी हुई वस्तुएँ फैलाई जायेंगी।

4 - व एजल वेहारो फु ज्जेरत्। -कुराशरीफ।

भावार्थ- जब नहर निकाले जायेंगे।

5 - व एजन नुफसी जव्बेजत्। -कुराशरीफ।

भावार्थ- जब दूर दूर में रिश्तेदारियों होगी।

6 - व इममेन करीयातिन इल्ला नहलो मुहले।

कुहा कबला यौमिल कयामह वमो अज्रेबूहा।

भावार्थ- कोई ऐसी बस्ती नहीं, जिसको हम कयामत से कुछ मुद्दत पहले हेलाक नहीं करेंगे या किसी हद तक अजाव वारिश नहीं करेंगे।

शैतानी जमाने का खात्मा होकर रहमानी जमाना आने के समय या इमाम मेंहदी के आने के समय सब से पहली बात रमजान के महीने में दो ग्रहणों का होना है। रमजान के महीने में इधर चौदहवीं सदी के बीच में सिर्फ सन् 1312 मुताबिक विक्रमी सम्वत् 1950 में ही रमजान के एक ही महीने में दोनों ग्रहण यानी फाल्गुन शुक्ल 15 को 7 बजे कर 39 मिनट पर चन्द्र ग्रहण और चैत्र कृष्णा अमावस्या शुक्रवार को 3 बजे दिन में सूर्य ग्रहण हुआ जब से यह ग्रहण हुआ है, तभी से इमाम मेंहदी के शीघ्र प्रकट होने की सम्भावना की जाने लगी और रहमानी जमाना निकट भविष्य में ही आने वाला है और इमाम मेंहदी आ रहे हैं, इस बात की डंके की चोट घोषणा करने वाले मिरजा गुलाम अहमद क्रादमानी जैसे व्यक्ति जनता के सामने आ गये हैं। और उसी समय से दुनिया के अन्दर हर तरफ उलट-पलट परिवर्तन होने के आसार दीख पड़ने लगे। नये -नये आन्दोलन, नये नये विचार, नये नये आविष्कार, नये नये कार्य, महायुद्ध, अकाल, प्लेग, महामारी का श्रीगणेश होता गया। गत महायुद्ध एवं वर्तमान महासमर तथा भविष्य में होने वाले महायुद्ध परिवर्तन करने और रहमानी जमाना नजदीक लाने के लिए ही हुए थे और हो रहे हैं और होंगे।

दूसरी बात है, ऊंटनियों की सवारी का नहीं रहना है। वर्तमान समय में कितने व्यक्ति ऊंटनियों की सवारी से काम लेते हैं, यह कहने की आवश्यकता नहीं। खास अरब में भी जहाँ ऊंटनियों की सवारी के बिना यात्रा ही नहीं की जा सकती थी, वहाँ भी ज्यादा से ज्यादा दूर तक मोटर पथ का प्रबन्ध किया गया है। सिर्फ थोड़े हिस्से बच गये हैं, जिन्हें ऊंटनियों की सवारी पर पार करना होता है। इससे यह मालूम होता है कि इमाम मेंहदी के प्रकट होने या शैतानी जमाना का खात्मा होकर रहमानी जमाना आने में अब थोड़ा ही समय है।

आजकल अखबारों के विज्ञापनों की जिधर देखिए, उधर ही भरमार ही भरमार है। किसी बात को जनता में भली भाँति प्रचारित करने के लिए छपे हुए ट्रेक्ट, पुस्तकें, विज्ञापनों, पत्र पत्रिकाओं इत्यादि का एक खास महत्व हैं। आज के बीस वर्ष पूर्व मेरी इस छोटी सी साहित्य- प्रेमहीन नगरी में सिर्फ एक ही प्रेम था, जो कि बमुश्किल अपना खर्च पूरा करता था लेकिन आज चार प्रेस अनवरत रूप से चल रहे हैं और पाँचवे प्रेस की आवश्यकता मालूम पड़ती है। जब कि एक अशिक्षित नगरी की यह हालत है, तो जहाँ शिक्षा और साहित्य प्रेम का बोलबाला है, वहाँ का क्या हाल होगा, इसकी सहज ही कल्पना की जा सकती है और यह कहा जा सकता है कि कुरानशरीफ की तीसरी बात-छपी हुई वस्तुएं फैलाई जायेंगी, बिलकुल ही ठीक उतरी है और इससे हम इस नतीजे पर पहुँचते है कि अब सतयुग आगमन में देर नहीं है।

आये दिन की नित्य मुसीबतें दो देशों को मिलाने वाली पनामा इत्यादि नहरें रेल पथ की सुविधा के कारण दूर के शहरों में शादियाँ इस बात के स्वतः प्रमाण हैं कि कुरान और हदीस के अनुसार निकट भविष्य में ही सतयुग आ रहा है।


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