उपरोक्त बातों से पाठकों को भली भाँति पता चल गया होगा कि कलियुग की आयु समाप्त हो चुकी ऐसी अवस्था में यदि लोग ईश्वर भजन की ओर विशेष रूप से झुकें और शुभ कर्म एवं दुष्ट कर्मों को हटाने का प्रयत्न किया जाये तो बहुत शीघ्र सफलता मिल सकती है और सतयुग कुछ ही वर्षों में उपस्थित हो सकता है।
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आत्म तिरस्कार सम्बन्धी प्रत्येक विचार व्यक्तित्व की शक्ति के मूल का नाशक लुटेरा तथा रोग है।
एक विश्वस्त कथा के आधार पर -