धर्म का मुख्य मार्ग यह है कि कर्त्तव्य पालन करो, तो वह अवश्य मिल जायेगा। कर्त्तव्य पालन करने में मनुष्य से डरने की जरूरत नहीं है। ईश्वर से डरने की जरूरत है।
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सदाचार के द्वारा तुम प्रभु के सेवक हो जाओ, तो फिर जैसी प्रतिज्ञा उसने कर रखी है- तुम्हें फिर किसी बात की आवश्यकता न रहेगी। सच्चा अर्थशास्त्र इसी को कहते हैं।
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जो सद्गुणी है, वही बुद्धिमान है। वही सज्जन है। जो सज्जन है, वह सदा सुखी है।
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जो मनुष्य विवाद करना नहीं जानते हैं, वे बहुधा लड़ते रहते हैं।