प्रसन्नता और कुकर्म ये दो देश हैं। एक मनुष्य एक दम दोनों देशों में कैसे रह सकता है जो मनुष्य सुख चाहते हैं। वे कुकर्मों को अवश्य ही छोड़ देंगे।