निराश मत करिये

October 1941

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(श्री स्वेट मार्डन)

जो व्यक्ति आज तुम्हारी ही तरह होशियार और चतुर नहीं है उसे न तो निरुत्साहित करो और न उसका मजाक बनाओ। जो आदमी इस समय गधा, आलसी या मूर्ख प्रतीत होता है। यदि वह उचित अवसर पावे तो एक दिन बहुत ही बुद्धिमान सिद्ध हो सकता है। किसी की भूलों के लिये उसे तिरस्कृत मत करो वरन् उसे उत्साह देकर सन्मार्ग पर प्रवृत्त करने की चेष्टा करो।

गोल्ड स्मिथ, मास्टर लोगों की हंसी मजाक का साधन था। लड़के उसे ‘लकड़ी का चम्मच’ कहकर चिढ़ाते थे। वह डाक्टरी पढ़ता था, पर बार-बार असफल हो जाता। वास्तव में उसकी रुचि साहित्य की ओर थी। इन असफलता के दिनों में वह एक पुस्तक लिखने लगा। डॉक्टर जानसन ने कृपापूर्वक उसकी प्रथम कृति विकार आफ वेक फील्ड एक प्रकाशक को बिकवा कर उसको ऋण मुक्त कराया। इस रचना ने गोल्डस्मिथ की कीर्ति संसार भर में फैला दी। सर वाल्टर स्काट का नाम मास्टरों ने ‘मूढ़’ रख छोड़ा था। उसी मूढ़ ने ऐसी अद्भुत पुस्तकों की रचना की है जो सैंकड़ों शिक्षकों को शिक्षा दे सकती हैं। वेलिंगटन की माता उसकी मूर्खता से दुखी रहती थी। ईटन के स्कूल में वह बड़ा आलसी और बुद्धिहीन विद्यार्थी समझा जाता था। सेना में भर्ती हुआ तो प्रतीत होता था कि यह इस कार्य में भी अयोग्य साबित होगा, किन्तु उसने आश्चर्यजनक सैनिक योग्यता संपादित की और 46 वर्ष की आयु में दुनिया के सबसे बड़े सेनापति को हरा दिया।

आरंभ में कोई व्यक्ति अयोग्य दिखाई पड़े तो यह न समझना चाहिये कि इसमें योग्यता है ही नहीं या भविष्य में भी प्राप्त न कर सकेगा। यदि उचित प्रोत्साहन मिले और उपयुक्त साधन वह प्राप्त कर ले तो हो सकता है, कि आज नासमझ कहलाने वाला आदमी कल सयानों के कान काटने लगे।

किसी की बुद्धि पर मत हंसो वरन् उसकी त्रुटियों को सुधारने का प्रयत्न करो। तुम्हारे द्वारा लाँछित अपमानित या निरुत्साहित होने पर किसी का दिल टूट सकता है, किन्तु उसे किसी प्रकार से यहाँ तक कि वाणी से भी प्रोत्साहित करते रहो तो मनुष्य देहधारी प्राणी के असाधारण उन्नति कर जाने की बहुत कुछ आशा की जा सकती है।


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