VigyapanSuchana

October 1941

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पराधीन भारत के उद्योगपतियों की विजय-यात्रा का इतिहास,

हिन्दी साहित्य जीवन में नई सृष्टि एक सर्वथा नया आयोजन,

लेखक द्वारा लिखी जाने वाली 100 जीवनियों में 15 कास अद्वितीय बेजोड़ संग्रह भी छा गया।

अवश्य खरीदिये।

भारत की व्यवसायी विभूतियाँ

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प्रणेता-विद्याभूषण पं- मोहन शर्मा, विशारद पूर्व सम्पादक-’मोहिनी’

भूमिका लेखक-प्रोफेसर श्री ज्वालाप्रसाद जी, हिसल, एम.ए.एल-एल.बी, एफ.आर.ई.एस.

इस अनुपम ग्रंथ में देश के उन उद्योग संचालकों की जीवन झाँकियाँ बोलती हुई भाषा में अंकित की गई हैं, जो स्वावलम्बन, अध्यवसाय आदि श्रेष्ठ गुणों की सहायता से धन, जन, प्रतिष्ठा और सेवा बल में विश्व विख्यात हुए हैं। पुरुषार्थ और मनोबल के निरन्तर उपयोग द्वारा मनुष्य क्या से क्या बन सकता है। इसके जुड़े 2 चित्र इस एक ही ग्रन्थ में देखिये।

अपनी प्रति के लिये आज ही माँग भेजें। अन्यथा द्वितीय संस्करण तक ठहरना होगा। सजिल्द का 1॥) अजिल्द का 1 रुपया।

विक्रेता- मोहिनी कार्यालय, इटारसी, (सी.पी.)


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