कलियुग समाप्ति की साक्षियाँ

October 1941

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(श्री रतनलाल जी नैष्ठिक वैद्य, मथुरा)

कलियुग समाप्त होने और सतयुग आने में अब देर नहीं है। इस संबंध में बहुत से प्रमाण प्राप्त होते हैं। उनमें से तीन यहाँ दिये जाते हैं। पाठकों को वास्तविक स्थिति में जानने में इस प्रामाणिक साक्षियों से मदद मिलेगी।

(1) सूरदास जी ने लिखा है-

अरे, मन धीरज क्यों न धरे।

एक महसूस नौ सै के ऊपर यह संयोग परै॥

मेघनाथ रावण का बेटा, पूरब जन्म धरै।1।

हिन्दू तुरक तेज को नासै जैसे कीट जरै॥

भूप उपाय करें सब मिलके टारे नाहिं टरै।2।

चारों धाम आनन्द में फेरे बहु विधि राज करै॥

वीसी रुद्र होमगति सारी ब्रह्म प्रकाश करै।

शुक्ल नाम संवत जब आवै छटि सोमवार परै॥

फूटै फौज मलेच्छ राज की दुन्दुभि सदा करै।

प्रजा राजानाश सबन सों देश मलिच्छ हरै॥

दक्खिन फौज फेरि ब्रज आवे कछु दिन राज करै।

कछुक दिनन में ऐसी होवे आपहि आय गिरै॥

हलधर पुत्र परम सुख उपजै देहली छत्र फिरै।

अस्सी बरस को सतयुग होवे धरम की बेलि बढै॥

नीति धरम सुख आनन्द होवे अमरन सुख उपजै।

सूरदास हौनी सो होवै काहे को सोच करै॥

(2) अध्यात्मक तत्वों के मर्मज्ञ र्स्वगवासी लोकमान्य तिलक लिख गये है, कि ‘आजकल का समय तो अवतार आने का है, और कलियुग इतने लाखों वर्षों का नहीं जितना कहा जाता है’।

(3) मुसलमानों की मजहबी किताब मकसूम बुखारी में लिखा है कि, 14वीं सदी हिजरी की दूसरी तिहाई में कयामत आयेगी (कयामत का मतलब है कि पापी कोई न रहेगा) जो 2000 वि- श्रावण की हिजरी सन चौदहवीं सदी की दूसरी तिहाई खत्म हो जाती है।


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