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October 1941

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एक बुद्धिमान शिक्षक कहता है कि छोटेपन में मैं सोचा करता था कि बादलों के गरजने से मृत्यु होती है पर बड़ा होने पर मुझे पता चला कि मृत्यु का कारण बादल नहीं, बिजली है। बस, उसी दिन से मैंने गरजना कम कर दिया और चमकना शुरू कर दिया।

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सर वाल्टर रेले से एक व्यक्ति ने पूछा-”आप इतना अधिक काम इतने कम समय में कैसे कर डालते हैं?” सर रेले ने उसे उत्तर दिया-मुझे जो कुछ करना होता है, उसे उसी क्षण कर लेता हूँ। आज के काम को कल पर नहीं टालता।

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‘कल’ शैतान का दूत है। इतिहास से प्रकट है कि इस ‘कल’ की धार पर कितने प्रतिभावानों का गला कट गया। कितनों की योजनाएं अधूरी रह गई। कितनों के निश्चय जबानी जमा खर्च रह गये। कितने ‘हाय कुछ न कर पाया’ कहते हुए हाथ मलते रह गये। ‘कल’ असमर्थता और आलस्य का द्योतक है।

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किसी के सम्बंध में दूसरे से ऐसी बात मत कहो, जो उसके मुँह पर नहीं कह सकते।


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