जीवन क्या है? बाधाओं की एक जंजीर है। बेशक, जो लोग शरीर और संसार के रिश्ते तक ही सीमित हैं उनके लिये वह ऐसा ही है। परन्तु जो लोग तत्व ज्ञान से प्रेम करते है उनके लिये ऐसा नहीं है।
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अपने ही भावों के द्वारा तुम अपने जीवन, अपने संसार और अपनी प्रकृति को सुधार सकते या बिगाड़ सकते हो। अपनी विचार शक्ति द्वारा अपने भीतर जैसा भवन बनाकर खड़ा करोगे बाह्य जीवन उसी के अनुरूप बनने लगेगा।
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यह मत कहो कि मैं ही एक पूर्ण हूँ। मुझमें ही सब ताकत है, मैं ही सब कुछ हूँ सबसे श्रेष्ठ हूँ। वरन् यों कहो कि मुझमें भी कुछ है, मैं भी मनुष्य हूँ मेरे अन्दर जो कुछ है उसे बढ़ा सकता हूँ उन्नत और विकसित कर सकता हूँ।
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जो दूसरों को दिये बिना खुद लेना चाहता है वह पाता तो कुछ नहीं, खोता बहुत है।
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