धन की प्यास जल की प्यास से कहीं बढ़कर दुःखदायिनी है। जल की प्यास तो जल मिल जाने पर शान्त हो जाती है परन्तु धन की तृष्णा धन के मिलने पर और भी बढ़ती है।
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कहने की अपेक्षा लोग करते कम हैं। श्रेष्ठ वह है जो कहता कम और करता ज्यादा है।