पुनर्जन्म की प्रत्यक्ष घटना

December 1940

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(ले. श्री पं. भोजराजजी शुक्ल, ऐत्मादपुर, आगरा)

गीता कहती है कि जैसे मनुष्य पुराने वस्त्रों को त्याग कर दूसरे नये वस्त्रों को ग्रहण करता है वैसे ही जीवात्मा पुराने शरीरों को त्याग कर दूसरे नये शरीरों को प्राप्त होता है। परन्तु अविश्वासी लोगों को पुनर्जन्म पर विश्वास कराने के लिये मैं स्वयं देखी हुई घटना का उल्लेख करता हूँ।

मैने सुना मेरे यहाँ से दो मील के अन्तर पर मोहम्मदाबाद गाँव में लोधा जाति के मनुष्य के यहाँ एक कन्या अपने पिछले जन्म का हाल कहती है, जब लकड़ी 6 वर्ष की हुई तब एक दिन अपने माता−पिता से कहने लगी कि मैं तुम्हारे यहाँ की कच्ची रसोई नहीं खाया करूंगी, मेरे लिये पक्की रसोई बना दिया करो। इस पर उसके माता-पिता ने पूछा तू कच्ची रसोई क्यों नहीं खाना चाहती? उस लड़की ने उत्तर दिया कि मैं जाति की ब्राह्मणी हूँ तुम्हारे हाथ की रोटी नहीं खा सकती, उसके माता-पिता ने कहा तू कहाँ की ब्राह्मणी है अपना पूरा पता बतला? इस पर उसने उत्तर दिया कि मैं शहर आगरे के मुहल्ला जीन की मण्डी की रहने वाली ब्राह्मणी हूँ मेरे लड़के का नाम तेजसिंह है जो कि मील में नौकर है। इस बात को सुनकर लड़की का पिता लड़की को लेकर और भी चार मनुष्यों के साथ रेलगाड़ी से आगरे गया। ट्रेन से आगरा सिटी स्टेशन पर उतर कर लड़की से कहा गया कि तू आगे-आगे जीन की मण्डी को चल हम सब तेरे पीछे-पीछे चलेंगे लड़की जीन की मण्डी को चल दी वहाँ पहुंचकर दो चार घरों को देखने के बाद एक घर के सामने नींव का वृक्ष देखकर उस घर में चली गई अन्दर जाकर अपनी पुत्र वधू का हाथ पकड़कर बोली कि ‘बहू तू अच्छी तरह है मैं तेरी सास हूँ’ तेजसिंह की स्त्री उस लड़की से बात चीत करने लगी। इधर उस लड़की के पिता ने मील से तेजसिंह को बुलाया। तेजसिंह के साथ 10 से 15 आदमी और भी इस आश्चर्यान्वित घटना देखने को चले आये। लड़की के पिता ने तेजसिंह को उन आदमियों के बीच में खड़ी करके लड़की को मकान के अन्दर से बुलवा कर लड़की से कहा कि तू अपने बेटे को पहिचान। लड़की ने पहले तो गौर से उन सब आदमियों को देखा फिर झट उसने तेजसिंह का हाथ पकड़कर कहा कि यह मेरा बेटा तेजसिंह है। इस पर तेजसिंह बोला कि तू कोई गुप्त बता बतला जिससे मैं विश्वास कर लूँ कि तू मेरी माँ है? लड़की बोली कि घर के अमुक स्थान में एक लोटे में चाँदी की हमेल और 40) रु0 जमीन में गढ़े हैं तू उखाड़ ला। तेजसिंह घर में गया थोड़ी देर उस लोटे को उखाड़ कर ले आया सचमुच उस लोटे में हमेल तथा 40)रु0 थे। तेजसिंह ने उस लड़की से कहा कि तू इस हमेल को अपने पहनने के लिये ले जा, लड़की ने उत्तर दिया कि मैं क्या करूंगी तुम्हीं अपने पास रखो यह सब चरित्र देखकर लड़की का पिता लड़की को लेकर अपने मकान को चला आया, तबसे उस लड़की को वह पक्की रसोई खिलाने लगा। यह सब बातें सुन कर मेरी इच्छा हुई कि मोहम्मदाबाद जाकर इस घटना की जाँच करनी चाहिये।

अतएव एक दिन शाम को मैं चल दिया तथा और भी प्रतिष्ठित लोग चले। स्थानीय डॉक्टर सहित कम्पाउंडर साहब, हैडमास्टर साहब मिडिल स्कूल, सब रजिस्ट्रार साहब एक वकील साहब कई महाशय भी मोहम्मदाबाद पहुँचकर एक वैश्य महाशय के मकान पर उस लड़की को बुलाया गया वह अपने पिता के साथ आई उसका पिता तो जमीन पर बैठ गया, परन्तु वह लड़की मेरे पास जो एक खाली मूढ़ा था उस मूढे पर जाकर बैठ गई। मुझे तभी प्रतीत हो गया कि इस लड़की के अंतःकरण में ब्राह्मण शरीर के संस्कार मौजूद है लड़की से मैंने कहा कि बेटी! तुम अपने पिछले जन्म का सच्चा-सच्चा हाल मुझसे कहो उस लड़की ने पिछली लिखी हुई कुल बाते मुझे सुनाई मैंने फिर प्रश्न किया कि तुम किस बीमारी में अपने घर के किस स्थान में मरी थी उसने उत्तर दिया कि मैं ज्वर से घर के उस कोने में मरी थी जिसमें श्री देवी जी की मूर्ति स्थापित है फिर मैंने और भी निश्चय करने के लिये उस लड़की से यह प्रश्न किया कि तुम्हारे पति का क्या नाम है उसने नाम लेने में संकोच किया, इस पर मैंने उससे कहा कि नाम बताने में कुछ हर्ज नहीं तुम ब्राह्मणी शरीर में अब नहीं हो, लोधा जाति के शरीर में कन्या रूप में हो उस लड़की ने धीमे-धीमे स्वर से अपने पति का नाम प्रेमसिंह बतला दिया। अब मैंने उससे यह बनावटी प्रश्न किया कि मैं भी जीन की मण्डी में रहता हूँ तुम्हारा घर मेरे पड़ौस में है, मैं अक्सर तुम्हारे पति प्रेमसिंह के पास जाया करता था मेरा उनका प्रेम था तुम मकान से मेरे लिये पान लगा कर भेजा करती थी, क्या तुमको याद है? इस पर उस लड़की ने साफ-साफ कह दिया कि बाबा! मैंने तुमको कभी भी अपने मकान पर नहीं देखा। मैंने तो आज ही आपको देखा है इस प्रश्न से सब लोगों को लड़की की बातों पर और भी विश्वास हो गया। लड़की ने सबके सामने अपने आप मुझसे यह भी कहा कि मेरे पिता मेरा विवाह न करें मैं इनके यहाँ कुछ ही वर्ष और जिन्दा रहकर जैनी वैश्य के यहाँ जन्म लूँगी इसके पश्चात डॉक्टर साहब ने उस लड़की के सिर और मस्तिष्क की परीक्षा की कोई विशेष बात नहीं पाई गई, मैंने उस लड़की के पिता से कहा कि तुम्हारे धन्य भाग है कि तुम्हारे यहाँ देवी जी की उपासक ब्राह्मणी ने जन्म लिया है तुम इसको पक्की ही रसोई खिलाना इसको दुःख मत देना इसी से तुम फलो फूलोगे कभी तंग नहीं रहोगे। लड़की अभी तक मोहम्मदाबाद में मौजूद है जो चाहे परिक्षा कर सकते है।

पाप और पारा कोई पचा नहीं सकता। यदि पारा खाया जायगा तो वह किसी न किसी दिन शरीर में से फूट कर निकल आवेगा। पाप का भी ऐसा ही परिणाम होता है।


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