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December 1940

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जिस प्रकार पहले सूर्योदय और फिर मध्याह्न होता है। उसी प्रकार पहले विश्वास और पीछे ज्ञान होता है। विश्वास के बिना कोई मनुष्य साहसी और शक्तिशाली नहीं हो सकता।

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“दूसरे भले ही न समझें पर हम तो इस कलह से दूर ही रहेंगे” जो ऐसा समझते हैं उनका द्वेष और कलह शान्त हो जाता है।

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दूसरों से अपनी निंदा सुनकर उद्विग्न मत होओ क्योंकि किसी की निन्दा से कोई हीन नहीं हो जाता। संसार में एक भी ऐसा महापुरुष न मिलेगा जिसके निन्दक न हों।

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सदा भूत और भविष्य के चिन्तन में लगे रहने वाले व्यक्ति एक प्रकार के शेखचिल्ली हैं। बुद्धिमान वह है जो भूत के अनुभव और भविष्य की आज्ञा के आधार पर वर्तमान का निर्माण करता है।


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