एक हर्ष समाचार।

December 1940

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‘अखण्ड ज्योति कार्यालय’ मथुरा जी चला गया।

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पत्र आदि “अखण्ड-ज्योति कार्यालय मथुरा” के पते पर भेजिए।

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पाठकों को यह जान कर प्रसन्नता होगी कि अखण्ड ज्योति कार्यालय ता0 25 दिसम्बर को आगरा से उठकर मथुरा चला जायगा।

अखण्ड ज्योति भगवान कृष्ण के अखण्ड और सत्य शिव सुन्दर आदेशों का प्रकाश जन साधारण के हृदयों तक पहुँचाने के उद्देश्य को लेकर अवतरित हुई है। आत्म ज्ञान, संयम श्रेष्ठ आचरण और उदारता के पवित्र आदर्शों से गीता का अन्तः करण भरा हुआ है। अखण्ड ज्योति उन्हीं महातत्त्वों को भिन्न-भिन्न स्वरों में गाती रहती है। गोविन्द और उनकी गीता के अमृत निर्झर की ही कुछ बूँदें, माया की तप्त अग्नि में जलते हुए प्राणियों पर छिड़कते रहने का हमारा यह प्रयत्न है।

जिस मुरली की मधुर ध्वनि को सुनकर रोती हुई दुनिया के परमाणु एक शान्ति और संतोष की साँस लेते हैं उसका पार्थिव केन्द्र उस पुण्य प्रसूता मथुरा नगरी में अब भी दिख पड़ता है। अपने आदर्शों के अनुसार हमें अपना काबा काशी मथुरा अनुभव हो रहा है। युग बीत गये परन्तु भावुक भक्तों के लिए ब्रज की पवित्र रज अब भी उतनी ही शान्ति-दायिनी हो जितनी उस योगिराज के समय में थी।

उसी नगरी की रज में लोटते रहने की मुद्दतों से अभिलाषा थी। प्रभु की कितनी कृपा है कि आज वह अभिलाषा पूरी हो रही है। अब अखण्ड ज्योति सहित स्थायी तौर से वहाँ रहने का अवसर मिलेगा, और देश भर के वहाँ पधारने वाले भज्जनो का दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त होगा। अखण्ड ज्योति के हजारों प्रेमी जो वहाँ पधारेंगे अपने दर्शन देकर हमें कृतार्थ करते रहेंगे यह कितने हर्ष की बात है।

कार्यालय विश्राम घाट पर एक छोटे से कमरे में स्थापित किया गया हैं। पधारने वाले सज्जन उसे आसानी से पा सकेंगे। पत्र व्यवहार के लिये मुहल्ले का उल्लेख किया जाये तो भी कुछ हर्ज नहीं। अखण्ड-ज्योति कार्यालय, मथुरा के पते पर पत्र, रजिस्ट्री, मनीआर्डर आदि भेजे जा सकेंगे। अब आगरे के पते पर पत्र व्यवहार न करके मथुरा के पते पर ही करना चाहिए। पाठक इसे अच्छी तरह नोट कर लें।

आशा है कि इस स्थान परिवर्तन से प्रेमी पाठकों को प्रसन्नता होगी।

                                                                                                                                                                                      सम्पादक

’अखण्ड ज्योति’ कार्यालय, मथुरा ।



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