रामकृष्ण परमहंस (Kahani)

July 2003

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रामकृष्ण परमहंस ने धर्मोपदेशकों की एक मंडली को उद्बोधित करते हुए कहा, “जिसके पास अपनी पूँजी नहीं, वह दूसरों को क्या बाँटेगा! तुम लोग धर्म के अनुशासन में अपने को बाँधो, ताकि कथनी और करनी के समन्वय से ऐसे प्रवचन कर सको, जिसे लोग सुनें ही नहीं, अपनाएं भी।”


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