हम सदाचारी, परमार्थी और सेवाभावी तो है और कर्मों में अपनी इन भावनाओं को मूर्तिमान भी करते हैं, किंतु यदि स्वभाव से क्रोधी,कठोर अथवा निर्बल है तो इन सद्गुणों और सत्कर्मों का कोई मूल्य नहीं।
-परमपूज्य गुरुदेव