रात्रि की स्याह कालिमा घने बादलों एवं धुँध भरे कोहरे से मिलकर वातावरण को किंचित रहस्यमय बना रही थी। हल्की सी बूँदा-बाँदी और सुनसान निर्जनता इस रहस्यमयता में किसी अनजाने भय की सृष्टि कर रही थी। लगता है इस वातावरण का प्रभाव उस व्यक्ति पर था, जो इस समय घोड़े पर बैठा हुआ इस निर्जन क्षेत्र से गुजर रहा था। रह-रहकर उसके समूचे शरीर में एक अजीब सी सिहरन दौड़ जाती थी। कह नहीं सकते यह सिहरन ठण्ड के कारण थी अथवा भय के कारण या फिर उस पर ठण्ड और भय का ही मिला-जुला असर था। सत्य जो कुछ भी हो, पर अभी उसे अपने घर पहुँचने की जल्दी थी। इसी कारण वह जब-तब घोड़े को एड़ लगाकर उसे तीव्र गति से दौड़ने के लिए प्रेरित कर रहा था।
अभी उसने इस बार एड़ लगायी ही थी कि उसे ऐसा लगा जैसे घोड़े पर ही उसके पीछे बैठे किसी अनजान व्यक्ति ने उसके कन्धे पर हाथ रखा। इस अप्रत्याशित स्पर्श से तेजी से चौंकते और चिंहुकते हुए उसने सोचा कि भला यह कैसे हो सकता है। घोड़े पर तो वह अकेला बैठा है। यह किस तरह से सम्भव है कि कोई व्यक्ति तीव्र गति से दौड़ रहे घोड़े पर अचानक आकर उसके पीछे बैठ जाए और फिर उसके कन्धे पर हाथ रख दे। घबराहट में वह कुछ ज्यादा सोच नहीं सका। बस देह में कंपकंपी सी छूट गयी और कण्ठ सूखने लगा। स्थिति कुछ ज्यादा बिगड़ती, इससे पहले पीछे से भर्राई हुई सी आवाज आई- परेशान होने की जरूरत नहीं है मि. टेबनर विलिय! आप मुझे अपना दोस्त ही समझें।
पर आप हैं कौन? टेबनर विलियम नाम के उस घुड़सवार ने बड़ी मुश्किल से अटकते हुए गले से पूछा। जवाब देने वाले उस अनजान व्यक्ति ने उसे भरसक दिलासा देते हुए कहा- देखिए आप मुझसे कतई भयभीत न होइए। कभी मेरा नाम हैडक जेम्स था। अब तो बस मैं एक प्रेतात्मा हूँ।
प्र....प्र....प्रे....ता..त्मा! हकलाते हुए टेबनर ने जैसे-तैसे इस एक शब्द को कहा। इसी के साथ ऐसा लगा कि घोड़े की लगाम उसके हाथ से छूट जाएगी। तभी पीछे बैठे हुए हैडक जेम्स ने उसे सावधान करते हुए कहा- डरिए मत मि. विलियम और घोड़े की लगाम ठीक से थामिए। मुझे आप अपना मित्र समझिए। मैं बस आपके पास एक काम की आशा लेकर आया हूँ। क्या काम है आपको मुझसे? विलियम ने अपने आप को थोड़ा सम्हालते हुए कहा। इतनी देर में विलियम को यह बात समझ में आ चुकी थी कि यह हैडक जेम्स नाम का व्यक्ति कभी उसका परिचित हुआ करता था। शायद इसी सोच ने उसे थोड़ी आश्वस्ति दी थी।
तभी उसके कानों में हैडक जेम्स की आवाज सुनायी पड़ी, मित्र! मेरी विधवा पत्नी ने दूसरा विवाह कर लिया है और उसका पति धोखाधड़ी से उसे लूट रहा है। मैं चाहता हूँ कि तुम मेरी पत्नी को सलाह दो कि वह इस धोखेबाज व्यक्ति से बचने के लिए अदालत की शरण ले और जल्दी उससे अपना पीछा छुड़ाए। यदि उसने ऐसा नहीं किया तो यह धोखेबाज आदमी उसे पूरी तरह से बर्बाद कर देगा। अपने इस कथन का उपसंहार करते हुए हैडक जेम्स ने बड़े ही करुणार्द्र स्वर में कहा- तुम तो जानते ही हो कि मैं अपने जीवन काल में अपनी पत्नी से कितना प्रेम करता था। उसके प्रति मेरा यह प्रेम मरने के बाद भी कम नहीं हुआ है। इस तरह उसे बर्बाद होते हुए देख मेरी आत्मा बेहद कष्ट अनुभव कर रही है। एक तुम्हीं हो जो मुझे कष्ट से मुक्त कर सकते हो।
इस अजीबोगरीब घटना क्रम ने टेबनर विलियम को बड़ी उलझन में डाल दिया। उसे समझ में ही नहीं आया कि वह क्या करे? उधेड़-बुन के इन क्षणों में बस फादर जैरमी टेरल उसे प्रकाश किरण के रूप में नजर आए। फादर जैरमी के सन्त स्वभाव एवं उनके उच्चस्तरीय मानवीय गणों से वह पिछले काफी समय से न केवल परिचित, बल्कि प्रभावित भी था। उसे लगा कि ऐसे विकट मौके पर वही कोई उचित परामर्श दे सकते हैं। यही सोचकर वह उस अंधेरी काली स्याह रात्रि में घर न जाकर सीधे चर्च गया। और फादर के द्वार पर दस्तक दी।
इतनी घनी रात में, वह भी इस विकट मौसम में दी गयी इस दस्तक ने फादर जैरमी को सोच में डाल दिया। इस विचित्र सी घटना के समय काल चक्र आज की इक्कीसवीं सदी में नहीं बल्कि सत्रहवीं सदी में घूम रहा था। उस समय तक विज्ञान ने अपने चमत्कार दिखाने नहीं शुरू किए थे। विश्व मानचित्र में आज सम्मोहक समझा जाने वाला इंग्लैण्ड का यह शहर लन्दन उस समय विद्युत् के प्रकाश के सामान्य वरदान से भी वंचित था। विलियम की दस्तक के आवाज से जाग्रत् हुए फादर जैरमी ने द्वार खोलने के पहले मोमबत्ती जलाई और द्वार खोल कर धीरे से विलियम की ओर एक नजर देखकर उसे अन्दर आने के लिए कहा।
फादर जैरमी के कक्ष के अन्दर प्रवेश करते ही टेबनर विलियम ने एक साँस में अपनी सारी कथा कह सुनायी। कुछ ही देर पहले घटे घटनाचक्र का ब्योरा देते समय टेबनर के चेहरे पर आश्चर्य, भय एवं बदहवासी के भाव थे। फादर ने उसे सान्त्वना देते हुए कहा, प्रेत उस आत्मा का नाम है, जिसका शरीर तो उससे अलग हो गया है, मगर मन अलग नहीं हुआ है। मन के लिए देह जरूरी है। क्योंकि इसके बिना मन की वासनाओं, चाहतों की पूर्ति सम्भव नहीं है। मन की चाहतें शरीर से ही तो तृप्त होती हैं। शरीर के अभाव में उसकी स्थिति बड़ी कष्टप्रद हो जाती है। यह कहते हुए फादर ने एक क्षण रुककर विलियम की ओर देखा। मोमबत्ती के मद्धम प्रकाश में उसके चेहरे पर भय की कालिमा साफ नजर आ रही थी।
उसकी मानसिक स्थिति को भाँपते हुए फादर जैरमी ने कहा- प्रेम अपने आप में बहुत दुःखी आत्माएँ होती हैं। अब तुम अभी जिस हैडक जेम्स की बात कर रहे हो, वह मरने के बाद भी पत्नी की चिन्ता से पीड़ित है। हो सके तो उसकी मदद करो। जैसा उसने कहा है, वैसा तुम उसकी पत्नी को बता दो। इससे जेम्स की आत्मा को थोड़ा सुकून मिलेगा। और किसी को भी सुकून देना ईश्वर भक्त का कर्त्तव्य है। इसी के साथ फादर ने उससे कुछ और सान्त्वनाजनक बातें कहीं। जिससे उसके मन की बेचैनी शान्त हुई और वह अपने घर की ओर चल पड़ा।
घर पहुँचने के बाद भी उसके काफी दिन ऊहा-पोह में बीते। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि कैसे और किस तरह जेम्स की पत्नी से उसके नए पति के बारे में ये बातें कहे। रोज सोच-विचार कर जेम्स की पत्नी से मिलने की सोचता, परन्तु फिर मन हार जाता। इसी तरह मन की कशमकश में छः महीने बीत गए। तब फिर एक दिन हैडक जेम्स की आत्मा ने टेबनर विलियम को आ घेरा और उसे अपना वादा याद दिलाया। विलियम ने एक बार पुनः फादर जैरमी से संपर्क किया। उन्होंने भी यही सलाह दी कि उसे जेम्स की आत्मा को सुकून पहुँचाने वाला यह कार्य करना चाहिए।
अब की बार फादर के मशविरे को मानकर टेबनर विलियम ने जेम्स के युवा पुत्र से सारी बातें साफ-साफ कही। उत्तर में जेम्स के पुत्र ने कहा, मुझे आपकी बातों में सच्चाई की सुगन्ध आ रही है। और उसने अपने पिता की मृतात्मा की सलाह के अनुसार सौतेले पिता डेविस पर मुकदमा कर दिया। इसके प्रत्युत्तर में डेविस ने अदालत से अपील की कि वह निर्दोष है। और उसकी निर्दोषिता का सबसे बड़ा सबूत यह है कि उसके खिलाफ कोई गवाह नहीं है। डेविस के इस कथन के आधार पर अदालत ने यह फरमान जारी किया कि मुकदमा दायर करने वाले पक्ष को अदालत के सामने उपयुक्त साक्ष्य उपस्थित करने होंगे। अन्यथा यह मुकदमा निरस्त माना जाएगा।
इस नयी स्थिति पर टेबनर एक बार फिर घबरा गया। फिर कुछ सोचकर उसने कहा, मैं इस मामले में खुद हैडक जेम्स को बुलाऊंगा। और मुझे पूरा यकीन है कि हैडक निश्चित रूप से इस अदालत में उपस्थित होकर अपनी बात की सत्यता प्रमाणित करेंगे। टेबनर ने जिस आत्मविश्वास से यह बात कही, उससे थोड़ी देर के लिए तो अदालत के जज और जूरी भी हतप्रभ रह गए। वहाँ उपस्थित अन्य जनों को तो चौंकना ही था। सभी को हैरानी थी कि भला एक मृत व्यक्ति किस तरह से अदालत में उपस्थित होकर गवाही देगा। डेविस भी इस स्थिति से सोच में पड़ गया। पर अभी भी वह आश्वस्त था, कि भला कहीं मरे हुए लोग भी गवाही देने के लिए हाजिर होते हैं।
जज के द्वारा निर्धारित की गयी तिथि पर इस अभूतपूर्व एवं विचित्र मुकदमें की कार्यवाही शुरू हुई। सारा शहर इस कार्यवाही को देखने के लिए उमड़ पड़ा। पेशकार की अनुमति से अर्दली ने हैडक जेम्स को गवाही देने के लिए आवाज लगाई। अर्दली द्वारा जेम्स को गवाही के लिए पुकारते ही जैसे समूची अदालत का वातावरण परिवर्तित हो गया। कक्ष में यकायक तेजी से बिजली की की कड़क गज उठी। और जज सहित सभी ने जज की टेबल पर एक धुँधली सी छाया को हाथ का मुक्का मारते हुए सुना और देखा। यह दृश्य एक बार-दो बार नहीं तीन बार दुहराया गया।
इस दृश्य से हतप्रभ और हैरान जज के मुख से अपने आप ही निकल पड़ा, भला इससे ज्यादा प्रमाणिक, भरोसेमन्द और विश्वास योग्य गवाही और क्या हो सकती है? डेविस के खिलाफ हैडक जेम्स की आत्मा की गवाही सबसे पुख्ता प्रमाण है। जज के इस कथन के पश्चात् डेविस ने भी भरी अदालत में अपने जुर्म को मान लिया। उसे अदालत के आदेश के अनुसार मुकदमे में तयशुदा राशि हैडक जेम्स की पत्नी और पुत्र को चुकानी पड़ी। यह विचित्र मुकदमा समूचे इंग्लैण्ड में वर्षों तक चर्चा का विषय बना रहा। फादर जैरमी टेलर की डायरी के पृष्ठो का प्रकाशन आज भी इस आध्यात्मिक सत्य को प्रमाणित करता है कि मृत्यु के बाद भी जीवन का अस्तित्त्व है।