मुक्ति का रास्ता (Kahani)

May 1999

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संत लाओत्से के पास एक जिज्ञासु पहुँचा और बोला कि मैं मुक्ति चाहता हूँ। लाओत्से हँसे उन्होंने कहा - तू मुक्ति किसलिए चाहता है। लाओत्से बोले पहले मैं को ढूँढ़कर ला। फिर मुक्ति कि बात करेंगे, जिज्ञासु लौट गया और लगा मैं को खोजने। खोजते-खोजते वर्षों बीत गए। वर्षों बाद लौटा, तो लाओत्से के चरणों पर सिर रख दिया। लाओत्से बोले - खोज लिया मैं। जिज्ञासु ने कहा मैं को खोजते-खोजते मैं ही मिट गई और मुझे मुक्ति का रास्ता मिल गया।


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