बुझते दीपक ने पूर्णशक्ति के साथ अंतिम बार अपनी आभा को बिखेरते हुए कहा-भाई इस भौतिक जगत में जिसका जन्म होता है उसका अंत भी होता है। हम प्रयास करने पर भी उससे बचा नहीं सकते है, इतना अवश्य कर सकते है कि अपने जीवन की मूल्यवान घड़ियों को व्यर्थ ही नष्ट न होने दे।