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Akhand Jyoti
Year 1994
Version 2
अपनों से...
अपनों से अपनी बात गुरुसत्ता के प्रति सच्ची श्रद्धाँजलि - प्राणचेतना के सतत् वितरण द्वारा ही संभव अब यह बढ़ा भा
November 1994
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Page Titles
सिद्धिदात्री श्रमदेवता की साधना
प्रस्तुत समय की सबसे बड़ी समझदारी
Quotation
प्रेम ही परमेश्वर है।
राबिया की हंसी (Kahani)
हममें से कोई सचमुच बुद्धिमान है क्या?
Quotation
इनसानियत है अभी दुनिया में
Quotation
अत्यधिक मोह न पालें अन्यथा .....।
नाड़ी गुच्छकों व उपत्यिकाओं का विलक्षण सूक्ष्म संसार
युग परिवर्तन के निमित्त प्रतिभाओं का सुनियोजन
तीन पहाड़ (Kahani)
जीवन को आनन्दमय बनाती है कला
लोकमानस को साधक स्तर के सृजेता बदलेंगे
नैष्ठिक गृहस्थ साधक किसी भी तपस्वी से कम नहीं होता (Kahani)
उत्तेजना-आवेग और आहार
दलाली हो तो भगवान की
जब सूक्ष्म देह करने लगती है लोक लोकांतरों की यात्रा
सफलता पुरुषार्थ से अर्जित की जाती है।
स्वर्ग अधिकारी (Kahani)
एक बहुमूल्य दान – सत्परामर्श
Quotation
पगडंडियों में भटके या राजमार्ग पर चलें?
मूर्ख राजा (Kahani)
चित्रकला का मनोविज्ञान भी निराला है
अनुभव (Kahani)
ऐश्वर्य बढ़े तो अंतरंग का
आद्यशक्ति की साधना एवं सिद्धियों से साक्षात्कार
परमपूज्य गुरुदेव की अमृतवाणी - - आज के प्रज्ञावतार की युग के देवता की अपील
हर पल हमारे पास हो तुम (Kavita)
प्रज्ञापुत्रों का आश्वासन (Kavita)
विशेष लेख- - गायत्री परिवार की लघुतम से विराट् बनने की तैयारी युगसंधि महापुरश्चरण की प्रथम पूर्णाहुति
अपनों से अपनी बात- - घृत के स्नेह व बाती की प्रखर ऊर्जा से बना है यह विराट् अखण्ड-ज्योति परिवार
अपनों से अपनी बात गुरुसत्ता के प्रति सच्ची श्रद्धाँजलि - प्राणचेतना के सतत् वितरण द्वारा ही संभव अब यह बढ़ा भा
ॐ भू र्भुवः स्वः
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