एक सम्राट ने अपनी मृत्यु के पश्चात कब्र के पत्थर पर निम्न पंक्तियों लिखने का आदेश दिया। इस कब्र में अपार सम्पत्ति गाढ़ी गई है। जो व्यक्ति अत्यंत निर्धन हो और असहाय हो वह इसे खोदकर प्राप्त कर सकता है।
समय बीता हजारोँ दरिद्र कंगाल भिखारी उस राह से गुजरे किंतु किसी ने उस कब्र को खोदने का प्रयास नहीं किया। किंतु किसी दूसरे सम्राट ने जब उस देश पर फतह हासिल कर ली तो कब्र पर उक्त पंक्तियाँ लिखी देख कर उसका लोभ जाग्रत हो गया और धन के लालच में उसने कब्र खोदे जाने का आदेश दिया। कब्र में धन राशि तो नहीं मिली। मात्र एक शिलालेख मिला। जिस पर लिखा था। मूर्ख क्या तू मनुष्य है? फिर असहाय और निर्धन कैसे? जरा सोच तुझे तो ईश्वर ने वेश कीमती अकल और दो मजबूत हाथ दिये है जिनसे अपना ही नहीं दूसरों की भी सहायता कर सकता है। राजा का सिर शर्म से झुक गया। मृतात्मा की कब्र को पुनः ढक दिया गया।