VigyapanSuchana

May 1994

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न केवल अखण्ड-ज्योति पाठकों के माध्यम से एक करोड़ से अधिक परिजनों का अपितु पूज्यवर पर संपादित किये जा रहे उनके व्यक्तित्व कर्तृत्व, पत्र लेखन, लेखनी- संजीवनी के एक सर्वांग पूर्ण वाङ्मय द्वारा आने वाली पीढ़ी का मार्गदर्शन कर लिए शाँतिकुँज को उन अनुपलब्ध आडियो, कैसेटों की आवश्यकता है जो किन्हीं ने कभी प्रवास में या मथुरा हरिद्वार में हुए शिविरों में रिकार्ड किए थे। सभी के नाम हमें ज्ञात नहीं है, किंतु 1945 से लेकर 1990 तक अनेकों ने उनके संदेश को आडियो, वीडियो, कैसेटों द्वारा रिकार्ड किया अथवा लिपिबद्ध किया है। अपनी थाती अपने पास संरक्षित रखना चाहते हों तो कैसेटों की एक स्पष्ट कापी कराके तथा “स्पूल” पर से टेप पर ट्रांस्फर कर हमें शीघ्रातिशीघ्र पहुँचा दें। यह एक ऐसा पुण्य कार्य है। जिसका अभिनंदन भावी पीढ़ी करेगा। हमें आशा है ऐसे सदाशयता-भावनाशील व्यक्ति उभरकर आयेंगे व शाँतिकुँज हरिद्वार 249499 के पते पर उपरोक्त सामग्री किन्हीं आते-जाते के हाथों, स्वयं या पोस्ट से निश्चित ही भिजवाएँगे। प्रत्येक में तारीख-सन् व संदर्भ का उल्लेख अवश्य हों।


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