किन्तु यही दोनों इस बूढ़े विचारक से शिक्षा प्राप्त कर जब पहली बार घर लौटे तो उनके रहन-सहन, बोलचाल, अदब-व्यवहार ने लोगों का हृदय मोह लिया। फिर तो जो विद्यार्थियों की संख्या बढ़नी शुरू हुई कि विद्यालय पूरा विश्वविद्यालय बन गया। पहले के दोनों छात्रों में एक यूनान का प्रधान सेनापति, दूसरा मुख्य सचिव नियुक्त हुआ। यह वृद्ध ही सुविख्यात दार्शनिक जीनों और उसकी पाठशाला ने जीनों की पाठशाला के नाम से विश्व ख्याति अर्जित की।