एक आदमी अत्याचार के बल पर लोगों पर रौब गाँठकर अपना गुजारा चलाता था। सभी इसके नाम पर काँपते थे। जान से मारना उसके लिए हँसी का खेल था। एक दिन एक संत उस गाँव में आए। उनसे पूछ बैठा कि “शास्त्र कहते हैं कि अधिक देर सोना अच्छा नहीं है व मैं देर सुबेरे दस-ग्यारह बजे सोकर उठता हूँ। आप का क्या विचार है? ”संत बोले“ शास्त्र में गलत लिखा है। तुम जैसे लोगों को तो चौबीसों घंटे सोना चाहिए। ”व्यक्ति ने कारण पूछा तो संत ने कहा- ”शास्त्रों में जो लिखा गया है वह भले सज्जनों के लिए लिखा गया है। अच्छा आदमी जितना अधिक जागे, उतना अच्छा । बुरा आदमी जितना अधिक सोये, उतना ठीक। वह जितनी देर सोएगा, कम से कम उपद्रव धरती पर होंगे।”