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Akhand Jyoti
Year 1992
Version 2
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April 1992
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जो अधिक जानता है, वह कम बोलता है और जो कम जानता है, वह अधिक बोलता और बकबक करता है।
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Page Titles
आज के संदर्भ में धर्म
परिवर्तन एक सुनिश्चितता
आत्मासन्मुखी हूजिए
कोई चमत्कार नहीं हुआ (Kahani)
भगवद् भक्ति का मर्म
लोकोत्तरवासियों के आगमन से लाभ उठाया जाय
सफलता की कुँजी - आशावादी मनःस्थिति
असफलता से निराश (Kahani)
एक और शुनः शेप चाहिए
हर दिन नया जन्म हर रात नयी मौत
भीड़ की अकुलाहट थम गयी (Kahani)
सच्चा शौर्य है, अपने आप पर विजय
मृत्यु के नाम से क्षोभ क्यों (Kahani)
प्रत्यक्ष से परे परोक्ष
किसान उत्तर से संतुष्ट (Kahani)
सृष्टि के अनसुलझे रहस्य
उद्दालक के नाम से विश्वविख्यात (Kahani)
जाग्रत विवेक द्वारा ही समाधान संभव
मनुष्य का अहंकार (Kahani)
भ्रान्तियों ने बढ़ाया है नास्तिकता को
सच्चा विरक्त
पूर्णता की ओर अग्रसर हम सब!
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जागे मनीषा, युग परिवर्तन हेतु
उपद्रव धरती पर होंगे (Kahani)
विक्षुब्ध आत्माएँ ही प्रेत बनती हैं!
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विलासिता प्रतिभा को दीमक की तरह (Kahani)
सामयिक संदर्भ- - असामान्य है,प्रस्तुत नवरात्रि पर्व
उत्तिष्ठ युद्धस्वभारत (Kahani)
परमपूज्य गुरुदेव की अमृतवाणी- - नवरात्रि साधना का तत्वदर्शन
परमपूज्य गुरुदेव : लीला-प्रसंग
शक्ति साधना संबंधी (Kahani)
अपनों से अपनी बात - देवसंस्कृति को विश्वव्यापी बनाने घर-घर पहुँचने की पावन प्रतिज्ञा
बुद्धिजीवियों के 5 दिवसीय सत्रों की लम्बी शृंखला
VigyapanSuchana
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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