बातचीत के बाद सुलह (Kahani)

November 1991

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अमरीका के दो किसानों के बीच खेत की सीमा के बारे में झगड़ा उठ खड़ा हुआ। एक किसान अब्राहम लिंकन को अपना वकील बनाने के लिए उनके घर पहुँचा। लिंकन ने उस से कहा, “दोनों इस प्रकार झगड़ते रहोगे तो पीढ़ियों तक यह झगड़ा चलता ही रहेगा। तुम्हारा विरोधी भी मुझे ही अपना वकील बनाने आया है। मेरी एक सलाह है। दोनों मेरे इस कार्यालय में बैठो। मैं भोजन करने जाता हूँ। जब तक मैं लौट कर आऊँ तब तक तुम आपस में बातचीत करके कोई समाधान कर लो।” अब्राहम लिंकन देर तक जानबूझ कर नहीं लौटे। किसानों ने आपस में बातचीत शुरू कर दी। दिन ढलने पर लिंकन लौट आये। उन्होंने देखा कि दोनों किसानों ने बातचीत के बाद सुलह कर ली है।

कारण जो भी कुछ हो, है यह सब अति विलक्षण, अद्भुत व विज्ञान जगत के सामने एक अति महत्वपूर्ण प्रश्न चिन्ह। विज्ञान “क्या” की व्याख्या मात्र करता है। जबकि आत्मिकी-परोक्ष विज्ञान “क्यों” की व्याख्या करता है। जहाँ सामान्य ‘काँशनल’ बुद्धि सहारा न दे, मनीषी कहते हैं, वहाँ ‘प्रज्ञा’ का सहारा लेना चाहिए। ‘प्रज्ञा’ मात्र अध्ययन व जानकारी बढ़ाने से विकसित नहीं होती। प्रज्ञा बढ़ती है अध्यात्म उपचारों को दैनन्दिन जीवन का अंग बनाने से। संभवतः ये विलक्षण ध्वनियाँ ऐसा ही कुछ संदेश बौद्धिक मरीचिका में रास्ता भूले मानव को देती रहती हैं।


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